राहुल

दोनों समुदायों के धार्मिक स्थलों पर गए राहुल

देश में कई राज्यों में सत्ता खो चुकी, कांग्रेस अब देश के कुछ एक राज्यों में ही बची है। इन्हीं राज्यों में से एक कर्नाटक है। कर्नाटक की सत्ता को बरकार रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य के 4 दिवसीय दौरे पर हैं। इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के सियासी माहौल को कांग्रेस के पक्ष में बनाने के लिए उन्होंने चार राजनीतिक प्रयोग किए हैं। बता दें कि दो महीने के बाद ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।

राज्य की सत्ता पर दुबारा से कांग्रेस काबिज होने के लिए बेताब है तो वहीं बीजेपी बीएस येदुरप्पा के नेतृत्व में सत्ता में फिर से वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी के तहत मिशन कर्नाटक में अपनी पार्टी का चुनावी बिगुल फूंका है।

अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान राहुल गांधी इस बार लिंगायतों को कांग्रेस के पाले में करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं। राज्य में लिंगायत समुदाय करीब 18 फीसदी है और राज्य के सियासी किंगमेकर माने जाने वाला समुदाय है। राहुल ने जिस तरह लिंगायत प्रभावशाली इलाकों में दौरे किए हैं वो कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। लिंगायतों को बीजेपी का मजबूत वोट बैंक माना जाता है।

राहुल ने राज्य के लिंगायत समुदाय के वर्चस्व वाले 6 जिलों में यात्रा की।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल चार दिवसीय दौरे में लिंगायत समुदाय से जुड़े धार्मिक मठों पर गए, वहां पर होसपेट स्थित हुलीगामा (शक्ति) मंदिर,कोप्पल में गवी सिद्धेश्वरा मठ और बसावाकल्याण स्थित अनुभवा मंटपा भी गए बसावाकल्याण को 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवाना के कारण जाना जाता है। राहुल का लिंगायतों के बीच जाना इसलिए भी अहम रहा,क्योंकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायतों के एक समूह द्वारा हिन्दू से अलग कर नई धार्मिक पहचान की मांग को हवा दी थी।

बीजेपी के सीएम फेस येदुरप्पा लिंगायत समुदाय से ही आते हैं

और राहुल अपनी रणनीति से इसकी काट की तैयारी में है।पिछले चुनाव में गुजरात की तरह कर्नाटक में राहुल गांधी सिर्फ ‘सॉफ्ट हिंदुत्‍व’ की राजनीति ही नहीं कर रहे हैं,बल्कि धर्मनिरपेक्ष कार्ड खेल रहे हैं। यहां भी वह मंदिर और मस्जिद दौरे के बहाने हिंदू-मुस्लिम दोनों को साधने में जुटे हुए हैं।

रायचूर और गुलबर्गा दौरे के दौरान मंदिर में पूजभी की और दरगाह जाकर चादर भी कर्नाटक में मुस्लिम आबादी 12 फीसदी है। इसीलिए राहुल कर्नाटक में मुस्लिमों को दरकिनार करने की गलती नहीं कर रहे है। इसी के मद्देनजर दोनों समुदायों के धार्मिक स्थलों पर माथा टेकते हुए नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी के मिशन कर्नाटक में कोस्टल पॉलिटिक्स भी देखने को मिल रही है। राहुल गांधी ने अपने मिशन कर्नाटक की शुरुआत कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र से की। इस इलाके की कुल 40 सीटों में से 23 पर कांग्रेस का कब्जा है।

बीजेपी ने कोस्टल इलाकों की सीटों को 2019 के लिए टारगेट किया है।

इस देखते हुए राहुल की इस रणनीति को कर्नाटक में अपने मजबूत गढ़ को बचाने के साथ-साथ बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेरने की कोशिश के तहत भी देखा जा रहा है। इस दौरान राहुल गांधी नेकर्नाटक यात्रा के दौरान राज्य के किसानों और आदिवासियों के बीच भी गए। इतना ही नहीं उन्होंने व्यापारियों और प्रोफेशनल के साथ भी मुलाकात की। राहुल ने कर्नाटक से पीएम मोदी पर करारा हमला किया है। राहुल गांधी ने कहा,’वो आपको झूठे वादे करते हैं,झूठे सपने दिखाते हैं और उन पर भरोसा करके आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला है, कांग्रेस पार्टी जो कहती है वो करती है नरेंद्र मोदी जी के शब्द खोखले हैं, वो जो कहते है वो करते नहीं है।

राहुल ने कहा कि मोदी जी गरीबों की बात करते हैं,

लेकिन उनकी सरकार एससी प्लान और ट्राइबल सब-प्लान में पूरे भारत को 55 हजार करोड़ रुपये देती है,जबकि सिद्धारमैया केवल एक स्टेट में 27 हजार 700 करोड़ रुपया देते हैं। इसके अलावा राहुल गांधी ने सड़क किनारे आम लोगों की तर्ज पर पकौड़ा खाया और चाय भी पीकर लोगों से सीधे जुड़ने की कोशिश की। राहुल अपने चुनावी दौरों में पीपल कनेक्ट पर खास ध्यान दे रहे है। गुजरात चुनाव के दौरान चौक-चौराहों पर चाय पार्टी और ढोकला पार्टी से लोगों के बीच राहुल ने अपना संपर्क मजबूत किया था।

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