नई शिक्षा नीति
शिक्षा नीति में हुए परिवर्तन में जाने क्या-क्या हुए है बदलाव

स्कूल शिक्षा में 10+2 प्रणाली का हुआ अंत, व 5+3+3+4 की नई व्यवस्था लागू।

अब 4 साल में डिग्री प्रोग्राम, फिर एमए, बिना एमफिल के कर सकेंगे PHD। UGC, AICTE, HRD भी हुए समाप्त !

मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है.

बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया.

कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस काँफ़्रेंस में दी.

उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है.

स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं.

केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है.

इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है.

नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।

अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि

-अब स्कूल के पहले पांच सालों में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे.
-फिर अगले तीन सालो को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.
-इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8)
-और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12).

इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट,

दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।

4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं।

नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है।

अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं।

नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।

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बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई प्रस्ताव नई एजुकेशन पॉलिसी में है।

बोर्ड परीक्षाओं के महत्व के कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी।

कक्षा 5 तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी।

अब सिर्फ 12वीं में बोर्ड एग्जाम

नई शिक्षा नीति को कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के साथ 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है.

नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा.

बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा.

अब सिर्फ 12वीं में बोर्ड का एग्जाम देना होगा. पहले 10वीं बोर्ड का भी एग्जाम अनिवार्य होता था,

अब नहीं होगा. 9वीं से 12वीं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा.

कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी

ग्रेजुएट कोर्स की बात करें तो 1 साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर डिप्लोमा, 3 साल पर डिग्री ​मिलेगी.

अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है.

नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे.

स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी. एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी,

छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा. 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा.

गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा,

इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा.

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