
छोटी उम्र के बच्चों में बचपना देखना हम सभी को भाता है।
धोखाधड़ी और मौकापरस्ती से चल रहे इस
संसार में बच्चों का भोलापन हमारे दिलों को खुश कर देता है।
हम में से कई लोग तो छोटे बच्चों के दीवाने होते है।
कैसा होगा अगर (children online classes) किसी वजह से छोटे बच्चों से उनका बचपना ही छीन लिया जाए?
निश्चित ही आपको मेरे इस आर्टिकल के शीर्षक ने अचम्भित कर दिया होगा।
आप सोच रहे होंगे कि कैसे एक बीमारी अथवा वायरस बच्चों से उनका (psychological problem with children) बचपना छीन सकता है।
सीधे– सीधे तो नहीं मगर थोड़ा घुमाकर देखा जाए तो पिछले 2 वर्षों से ऐसा ही हो रहा है
और अगर आपके घर में भी स्कूल जाने वाला
एक छोटा बच्चा है तो आपको जागरूक होने की ज़रूरत है।
कोरोनावायरस ने हम सभी की जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।
हमेशा मास्क लगाना और घर से काम करने जैसी चीजें जो
हम शायद कभी नहीं करते अब हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुकी हैं।
इस वायरस और लॉकडाउन का बुरा असर हमारे समाज के बच्चों पर भी पड़ा है।
स्कूल जाकर टीचर से सीखने की जगह बच्चे (mobile game with children) मोबाइल हाथ में लेकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
एक दूसरे से मिलकर मैदान में खेलने की जगह बच्चे
एक दूसरे को कॉल करके ऑनलाइन गेम खेलने के लिए बुलाते हैं।
मौजूदा परिस्थिति में बच्चों को मोबाइल दे देना अभिभावकों की भी मजबूरी हो गई है लेकिन क्या,

उन्हें ऐसे में बच्चों का खास ध्यान नहीं रखना चाहिए?
कच्ची उम्र में बच्चे नहीं समझ पाते कि वो क्या सही अथवा गलत कर रहे हैं।
होता यह है की बच्चों का आकर्षण ऐसी चीजों के तरफ अधिक होता है जो
उन्हें देखना या सुनना नहीं चाहिए।
वैसे तो सोशल मीडिया पर हज़ार अच्छी और बुरी चीजें होती हैं लेकिन
हमें पता होता है, किसे नजरंदाज करना है और किसे नहीं।
यहां परेशानी यह है की बच्चों को इस बात
का ज्ञान बिल्कुल नहीं होता है और साथ ही साथ वो सोशल मीडिया के आधीन हो गए हैं।
मैंने स्वयं अनुभव किया है कि
बच्चों का सोशल मीडिया के तरफ खास आकर्षण हो गया और वो ऐसी चीज़ें देख और सुन रहे हैं जिससे
उन्हें कोसों दूर रहना चाहिए।
इससे हो यह रहा है की स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चे अपना बचपना खो रहे हैं
और ऐसी चीज़ें सीख रहे है जिन्हें आप उनके आचरण
में देखना या उनके मुख से सुनना बिल्कुल नहीं चाहेंगे।
इस समस्या के समाधान के लिए हमें बच्चों को दोष देने की बजाय स्वयं जागने की ज़रूरत है।
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एक मोबाइल दिला देना शायद
आज के समय में आसान है लेकीन मोबाइल के covid effected
दुरुपयोग से बच्चों को दूर रखना एक अच्छे अभिभावक की जिम्मेदारी है।