Madhya Pradesh Startup Policy : मप्र की स्टार्ट अप नी‍ति में प्रक्रियाओं को बनाया गया सरल और आसान

Madhya Pradesh Startup Policy : मप्र की स्टार्ट अप नी‍ति में प्रक्रियाओं को बनाया गया सरल और आसान
Madhya Pradesh Startup Policy : मप्र की स्टार्ट अप नी‍ति में प्रक्रियाओं को बनाया गया सरल और आसान

प्रदेश का स्टार्टअप ईकोसिस्टम (The startup ecosystem) अब मप्र स्टार्टअप पॉलिसी 2022 (MP Startup Policy 2022) के नियमों के तहत काम करने लगा है। पॉलिसी का क्रियान्वयन एमएसएमई विभाग कर रहा है। विभाग अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास के लिए डीपीआईआईटी और स्टार्टअप इंडिया (DPIIT and Startup India) के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डीपीआईआईटी द्वारा जारी राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग के दोनों संस्करण में मप्र अग्रणी रहा है। यही नहीं राज्य के स्टार्टअप ईकोसिस्टम की और भी कई उपलब्धियां रही हैं। स्टार्टअप से जुड़े सभी हितधारकों जैसे स्टार्ट-अप, इनक्यूबेटर, सेंटर, निवेशक, स्टार्ट-अप पार्टनर, राज्य सरकार और एमपी स्टार्टअप सेंटर को स्टार्टअप पोर्टल से जोड़ा गया है।

मप्र की स्टार्ट अप नी‍ति में प्रक्रियाओं को बनाया गया सरल और आसान

मप्र का स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम विभिन्न क्षेत्र के स्टार्ट-अप के वर्गीकरण के साथ विकसित हुआ है। राज्य सरकार ने इसके लिये एक स्वतंत्र निकाय का गठन किया है। नई नीति में स्टार्ट-अप के लिए कई प्रक्रियाओं को सरल और आसान बनाया गया है। सार्वजनिक खरीद को आसान बनाने से लेकर नई स्टार्ट अप नीति में इनक्यूबेटरों को ज्यादा समर्थन की पेशकश की गई है। प्रदेश की नीति के प्रमुख तत्वों में से एक प्रदेश के स्टार्टअप सेंटर की स्थापना है। यह सेंटर राज्य के स्टार्ट-अप को सुविधाएं और जरूरी सहायता देगा। सेंटर राज्य में स्टार्ट-अप तंत्र को बढ़ावा देने, उन्हें मजबूत करने और सुविधा देने के लिए एक समर्पित एजेंसी के रूप में काम करेगा। मप्र की स्टार्ट अप नीति 2022 की अनेक विशेषताएं हैं, जो इसे देश में अलग पहचान देती है। संस्थागत रूप से विषय-विशेषज्ञों के साथ मप्र स्टार्ट-अप सेंटर की स्थापना, मजबूत ऑनलाइन पोर्टल का विकास, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों – विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से जरूरी शैक्षणिक सहायता का आदान-प्रदान का प्रावधान नीति की विशेषताएं हैं।

कई तरह की रियायतों का प्रावधान

वित्तीय सहायता के रूप में नीति में सेबी, आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों से सफ लतापूर्वक निवेश प्राप्त करने पर 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम 15 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। यह सहायता अधिकतम 4 बार दी जाएगी। इसी तरह महिलाओं के स्टार्ट-अप के लिए 20 प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान है। फंड जुटाने की प्रक्रिया में स्टार्टअप्स का सपोर्ट करने वाले इन्क्यूबेटरों को इनके अलावा 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। ईवेंट आयोजन के लिए संबंधित राज्य के इन्क्यूबेटरों को प्रति ईवेंट 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। इसकी सीमा अधिकतम प्रति वर्ष 20 लाख रूपए होगी। इन्क्यूबेटरों की क्षमता वृद्धि के लिए 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। मासिक लीज रेंटल के लिए 50 प्रतिशत तक की सहायता अधिकतम 5000 रूपए प्रति माह तीन वर्ष के लिए दी जाएगी। पेटेंट प्राप्त करने के लिए भी 5 लाख रूपए तक की सहायता दिए जाने का प्रावधान नीति में है। उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप के लिए विशेष वित्तीय सहायता में कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के लिए किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति 13000 रूपये तक प्रति कर्मचारी प्रतिवर्ष 3 वर्ष के लिए और रोजगार सृजन के लिए 5000 रूपये प्रति कर्मचारी प्रति माह की सहायता, अधिकतम 3 वर्ष के लिए दी जाएगी। कनेक्शन की तारीख से 3 साल के लिए बिजली शुल्क में छूट एवं नए बिजली कनेक्शन के लिए 5 रूपए प्रति यूनिट की दर 3 साल के लिए निर्धारित किए जाने का प्रावधान है। स्टेट इनोवेशन चैलेंज के तहत वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता में राज्य सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक समस्या को हल करने वाले चुने हुए चार स्टार्टअप को प्रति स्टार्टअप एक करोड़ रुपये तक चार चरण में अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।