
भारतीय प्रशासनिक अधिकारी सुप्रिया साहू ने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है।
iAS अधिकारी ने वीडियो क्लिप में बताया कि ये रेप्लिका मुदुमलाई नेशनल पार्क के असली हाथियों से प्रेरित थीं।
उन्होंने आगे लिखते हुए कहा की यह 70 मुदुमलाई आदिवासियों ने लैंटाना वीड से इन खूबसूरत हाथियों को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। टीएन में हमने अब तक 1200 हेक्टेयर से लैंटाना, प्रोसोपिस और अन्य आक्रामक को हटा है #TNForest,” उन्होंने वीडियो के कैप्शन में लिखा है। की सुश्री सुप्रिया बताती हैं की एक विशेषज्ञ समूह ने आदिवासियों को प्रतिकृतियां बनाने के लिए मदद भी किया।
1.21 सेकन्ड की इस वीडियो क्लिप को दो लाख के कारीब लोगों ने देखा है। और दो हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक्स किया
एक यूजर ने लिखा की ,”क्या खूब मनमोहक रचना है।
मैं सभी रचनात्मक दिमागों को सलाम करता हूं,उन्होंने बेकार सामग्री का उपयोग कर के ,बल्कि एक हेपेटोटॅाक्सिक खरपतवार है मैं आपकी टीम के सभी सदस्यों को वन क्षेत्र से लैंटाना खरपतवार को हटाने के लिए बधाई देता हूं, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। सतर्क रहों और निगरानी करें।
एक अन्य यूजर ने लिखा वाह क्या कलात्मक है। थीम काबिले तारीफ है साझा करने के लिए धन्यवाद|
एक और अन्य ने टिप्पणी की, संदेश जोरदार है और स्पष्ट है,हम सभी मिलकर अपने ग्रह को बेहतर और टिकाऊ बनाने के लिए जिम्मेदार है। इन जैव हाथी से प्यार करें कई लोगों ने लिखा यह अविश्वसनीय रचना है।
सुप्रिया साहू भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी है। वह 1991 बैच से अतिरिक्त सचिव रैंक की एक वरिष्ठ भारतीय नौकरशाह हैं। वर्तमान में,वह सरकार,पर्यावरण,जलवायु परिवर्तन,वन विभाग के प्रधान सचिव के रूप में काम कर रही हैं। उनके पास प्रमुख सचिव-सह-प्रबंध निदेशक के रूप में द तमिलनाडु स्मॉल टी ग्रोवर्स इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव टी फैक्ट्रीज़ फेडरेशन- लिमिटेड (INDCOSERVE),कुन्नूर का अतिरिक्त प्रभार भी है।
क्या कहता है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 धारा 16सी के मुताबिक जंगली जानवर,पशु-पक्षि,सरीस़पों को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है। ऐसा करते हुए पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता । वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाने के मामले को लेकर रणथंबौर नेशनल पार्क की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, साल 2012 से 2018 के बीच क़रीब 9000 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया,वहीं International Union for Conservation of Nature (IUCN)
रिपोर्ट के मुताबिक इन्सानों द्वारा बहुत बड़ी संख्या में जंगली जानवरों,पशु-पक्षियों की हत्या की गई है।
भारत में आज भी कुछ ऐसे राज्य है जहां जंगली जानवरों का शिकार त्योहार के रुप में मनाते है।
गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय,नई दिल्ली के वन्यजीव विज्ञानी सुमित डूकिया के मुताबिक पश्चिम बंगाल : ‘ में जनजातीय समुदाय के लोग ‘अखंड शिकार’ नामक एक वार्षिक शिकार उत्सव मनाते हैं,जो जनवरी और जून के बीच आयोजित होता है। झारखंड में स्थानीय लोग एक सदी पुराने ‘सेंद्रा’नाम के एक उत्सव में भाग लेते हैं जो हर साल मई में एक विशेष तारीख को आयोजित किया जाता है। इस उत्सव में धनुष,तीर,चाकू और गुलेल जैसे पारंपरिक हथियारों का उपयोग करके जंगली जानवरों का शिकार किया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश: ‘के आदिवासी लोगों में शादियों और गांव के त्योहारों के दौरान इस तरह की रस्में आम हैं,जब लोग ताजा या सूखा मांस उपहार में देते हैं।
डूकिया राजस्थान: ‘की भील जनजाति लोगों की एक परंपरा का उदाहरण देते हुए वह कहते हैं,“इस समुदाय के नवविवाहित जोड़ों को सियार का मांस परोसने की परंपरा है। लेकिन सियारों की आबादी कम हो रही है,इसलिए वे अब शिकार से बचते हैं।”
ओडिशा ‘ में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता सुधांशु शेखर देव कहते हैं, “पूर्वी भारत में कोंध जनजाति के लोग भी कुछ इसी तरह की परंपरा का पालन करते हैं। मायके के लोग दुल्हन को एक या दो जंगली सुअर गिफ्ट में देते हैं।