“बीजिंग”
चीन ने मालदीव में भारत के सैन्य हस्तक्षेप को परोक्ष रूप से नकारते हुए कहा है कि मालदीव सरकार और विपक्षी पार्टियों के पास देश में उपजे राजनीतिक संकट को खुद सुलझाने की बुद्धिमत्ता है।
वर्ष 2011 तक मालदीव में दूतावास तक नहीं बनाने वाले देश चीन ने हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित मालदीव में अपने हितों का विस्तार किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, “बीजिंग, मालदीव के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, “हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष बातचीत और संपर्क के द्वारा अपने मतभेदों को समाप्त कर सकते हैं। साथ ही देश में जल्द से जल्द राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय व सामाजिक स्थिरता बहाल हो सकती है।”
गेंग ने कहा, “हमें विश्वास है कि मालदीव सरकार और राजनीतिक पार्टियां के पास खुद इस संकट को समाप्त करने की बुद्धिमत्ता और क्षमता है।” प्रवक्ता ने कहा, “हम यह भी चाहते हैं कि मालदीव अपने देश में चीनी लोगों, संस्थानों, परियोजनाओं को सुरक्षित बनाने के लिए तत्काल उपाय करे।”
वर्ष 2017 में मालदीव, पाकिस्तान के बाद चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला दूसरा देश बन गया था। यामीन सरकार के इस समझौते के बाद मालदीव की विपक्षी पार्टी और भारत सरकार ने चिंता जताई थी।
ज्ञात रहे कि मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल यामीन द्वारा 15 दिनों के लिए आपातकाल की घोषणा करने और मुख्य विपक्षी पार्टी के नेताओं को रिहा करने के आदेश देने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गिरफ्तार करने के बाद से राजनीतिक संकट और गहरा गया है।
सेना ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार कर लिया है। यामीन के सौतेल भाई गयूम ने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की अगुवाई वाली विपक्षी पार्टी को समर्थन दिया है। नशीद ब्रिटेन में आत्म-निर्वासित जीवन व्यतित कर रहे हैं।
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