मास्को व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति के रूप चौथे कार्यकाल के लिए शपथ ली। उनका यह कार्यकाल सन् 2024 में खत्‍म होगा। पुतिन ने मार्च में हुए चुनाव में सम्मानजनक मतों से जीत हासिल की थी। 65 वर्षीय व्लादिमीर पुतिन ने ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस के सेंट एंड्रयू हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। पुतिन पिछले 18 सालों से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के रूप में रूस को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शपथ ग्रहण करने के बाद पुतिन ने लोगों को संबोधित करते हुए रूस को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत देश के रूप में स्थापित करना उनका प्रमुख लक्ष्य होगा।

पुतिन ने किया संबोधित

शपथ ग्रहण के बाद पुतिन ने लोगों को संबोधित किया। पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि रूस के लिए अगले छह वर्ष अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर इसे एक मजबूत और अहम खिलाड़ी साबित करेंगे जिसमें ताकतवर मिलिट्री इसकी मदद करेगी और घर में नागरिकों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए प्रयास
किया था बेहतरीन प्रदर्शन
रूस के संविधान की धारा 81 के अनुसार, एक व्यक्ति राष्ट्रपति के तौर पर लगातार दो कार्यकाल से अधिक समय तक सेवा नहीं दे सकता। राष्ट्रपति चुनाव 18 मार्च को हुए थे, जिसमें 67।54 फीसदी मतदान हुआ था। पुतिन ने 76।
फीसदी वोट हासिल करते हुए अपना अब तक का सबसे बेहरीन प्रदर्शन किया था।
पुतिन को 5.6 करोड़ लोगों का समर्थन
पुतिन को 5.6 करोड़ लोगों ने अपना समर्थन वोट दिया था। पुतिन ने पदभार संभालने के बाद कहा, “मेरा मानना है कि समृद्ध रूस में शांति मेरे जीवन का अर्थ व कर्तव्य है। उन्होंने कहा, “रूस के लिए बेहतरीन काम करना मेरा कर्तव्य है। हमें उन क्षेत्रों में विकास करना चाहिए जिसमें हम हमेशा से मजबूत रहे हैं, साथ ही साथ हमें कम प्रगति वाले क्षेत्रों में भी काम करना चाहिए। हमें बहुत से फैसले लेने हैं”।
बदलाव के लिए तैयार रहना होगा
उन्होंने कहा, “इस साल रूसी संविधान को 25 साल हो जाएंगे। हमें बदलना चाहिए क्योंकि इतिहास बदलता है लेकिन इसी के साथ हमें हमारी जड़ों व हमारे इतिहास से जुड़े भी रहना चाहिए। ‘स्पुतनिक’ की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ने रूस के सभी क्षेत्रों में विकास की जरूरत का उल्लेख किया, जो सिर्फ एक मुक्त समाज द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है।

आसान नहीं होगा यह कार्यकाल

ब्लादिमिर पुतिन का यह कार्यकाल उनके पिछले कार्यकालों की तुलना में कुछ ज्‍यादा मुश्किल होने वाला है। उल्लेखनीय है कि पुतिन ने ऐसे समय में रूस की कमान संभाली है, जब रूस की अर्थव्‍यवस्‍था बुरी तरह चरमराई हुई है। वहीं पश्चिमी देशों के साथ इसके संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पूरी दुनिया शीत युद्धकाल की तरह ध्रुवों में विभाजित हो गई है। इस सबके बीच संतुलन साधते हुए रूस का प्रभामंडल बचाए रखना उनके इस कार्यकाल की प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
आता है लगातार खबरों में बने रहना
पुतन ने तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल देखे और यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र का रूस में विलय कराकर एवं सीरिया में हस्तक्षेप कर पश्चिमी देशों के साथ एक तरह से नई दुश्मनी आमंत्रित करने का जोखिम लिया है। पिछले चार सालों से फोर्ब्स पत्रिका द्वारा दुनिया की सबसे ताकतवर हस्ती करार दिए जा रहे पुतिन जूडो में ब्लैक बेल्ट धारी हैं और उन्हें खबरों में बने रहना खूब आता है। कभी साइबेरिया के जंगल में बिना शर्ट पहने घुड़सवारी करते और कभी लुप्तप्राय प्रजाति के बाघ को शांत करने के लिए डार्ट से शूट करते तस्वीर खिंचाने जैसे कामों से स्वयं को लगातार चर्चा में बनाए रखना उन्हें खूब आता है।
अधिनायकवादी माने जाते हैं पुतिन
रूसी नेता के समर्थक उन्हें एक उद्धारक मानते हैं जिसने कमजोर पड़ते देश में दोबारा गर्व एवं पारंपरिक मूल्य बहाल किए। दूसरी तरफ उनके विरोधी उन्हें एक ऐसा नेता मानते हैं जो देश को लोकतंत्र से और दूर ले गया तथा जिसने रूस में दोबारा गौरव की भावना भरने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा लिया। उन्हें अधिनायकवादी नेता भले ही माना जाता हो, कुछ भी हो, लेकिन उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं वाले अपने लंबे कार्यकाल में अपनी लोकप्रियता लगातार बरकरार रखी है।
केजीबी के पूर्व अधिकारी हैं पुतिन
पुतिन ने 16 साल तक केजीबी को अपनी सेवाएं दी हैं। वह लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से 1991 में रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग से राजनीति में कदम रखा। 1996 में वह मास्को में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में शामिल हो गए, एवं येल्तसिन के अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे देने के बाद 31 दिसम्बर 1999 को रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। इसके बाद उन्होंने सन 2000 और फिर 2004 का राष्ट्रपति चुनाव जीता।
पुतिन के लिए बदला गया संविधान
रूसी संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति लगातार दो टर्म के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकता। इसकी वजह से वह सन 2008 में तीसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ पाए। 2008 में दिमित्री मेदवेदेव ने राष्ट्रपति चुनाव जीता और प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन को नियुक्त किया। सितंबर 2011 में, कानून में बदलाव किया गया और राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि चार साल के बढ़ा कर छह साल कर दी गई। इसके बाद पुतिन ने 2012 में राष्ट्रपति पद के लिए तीसरी बार चुनाव लड़ने करने की घोषणा की। मार्च 2012 में उन्होंने चुनाव जीता और वर्तमान में 6 वर्ष के कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। सन 2018 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वह एक बार फिर राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए हैं।
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