नयी दिल्ली 19 अप्रैल – ‘सामाजिक बैंकिंग’ के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जरूरत बताते हुये भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने आज कहा कि देश अभी बड़े पैमाने पर निजीकरण के लिए तैयार नहीं है।
श्री कुमार ने हीरो इंटरप्राइजेज द्वारा यहाँ आयोजित माइंडमाइन सम्मेलन, 2018 में परिचर्चा के दौरान सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण पर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में कहा “ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है कि जो भी निजी क्षेत्र में है, अच्छा है। देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ अभी बड़े पैमाने पर निजीकरण के अनुकूल नहीं हैं। हो सकता है कि आज से 20 साल बाद हम इसके लिए तैयार हों।”
उन्होंने कहा कि बैंक पर सरकार का स्वामित्व है या निजी क्षेत्र का यह कोई खास मायने नहीं रखता। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वाणिज्यिक बैंकिंग के साथ सामाजिक बैंकिंग भी करनी होती है।
वित्तीय समावेशन पर श्री कुमार ने कहा कि इस दिशा में काफी प्रगति हुई है। जब जनधन खाते खोले गये थे उस समय निष्क्रिय खातों का अनुपात काफी ज्यादा था, लेकिन अब 85 प्रतिशत खाते सक्रिय हैं और उनमें लेनदेन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब उस मुकाम पर पहुँच गये हैं कि जनधन खातों की परिचालन लागत वसूल हो रही है।
एसबीआई प्रमुख ने कहा कि भारत निश्चित रूप से ऊँची विकास दर के लिए तैयार है। अपेक्षा के स्तर पर हम नौ से साढ़े नौ प्रतिशत के बीच की विकास दर की बात कर सकते हैं, लेकिन मैं समझता हूँ कि साढ़े सात प्रतिशत की विकास दर अच्छी दर है और बिना मुद्रास्फीति के दबाव के लगातार इस दर से विकास संभव है।
अजीत अर्चना
वार्ता
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