स्टार्टउप स्टोरी-आकांक्षा रॉय बनी प्रेरणा स्त्रोत
स्टार्टउप स्टोरी-अपनी कमज़ोरी को ताक़त बनाकर आकांक्षा रॉय ने हासिल किया प्रथम स्थान

स्टार्टउप स्टोरी

आकांक्षा-अपनी कमज़ोरी-एक व्यक्तित्व ही है जो इंसान

को निखार भी सकता है

और मिटा भी सकता है(“inspiring story in hindi“) पर चुनाव आपके हाथ में होता है

की आप ख़ुद को कहाँ तक साबित कर सकते है सीमायें भी आप तय करते की कितने सहनशील

हो आप एसी ही एक कहानी हम आपके साथ साझा करने जा रहे है आकांक्षा रॉय की जिन्होंने

ख़ुद की सीमायें बनाई ना की लोगों और समाज द्वारा तथाकथित सीमाओं का पलान किया।

एक छोटे क़सबे (Small Town) में रहने वाली आकांक्षा रॉय “Akanksha Roy” वैसे समाज व आसामन्य भाषा में वो अपने सामान्य वजन से काफ़ी ज़्यादा है

जिन्हें अनैतिक भाषा में मोटा भी कहा जा सकता है।

परंतु क्या सिर्फ़ अधिक वज़न का होना उनकी सीमाओं को तय कर सकता था ? तो जवाब होगा नहीं।

आकाँक्षा रॉय ने इसे ही अपनी ताक़त बनाया और ख़ुद को तैयार किया सही अवसर के लिए। (स्टार्टउप स्टोरी)

पाउलो कोहलो द्वारा लिखित किताब द ऐल्कमिस्ट जो सिर्फ़ इस वाक्य पर आधारित थी की

“अगर आप किसी चीज़ को दिल से चाहते है तो सारा ब्रम्हाण्ड तुम्हें उस से मिलाने की साज़िश में लग जाता है” 

ऐसा ही एक सुअवसर आकाँक्षा रॉय को मिला मेवेन प्रोरडक्शन द्वारा परंतु ये बस उनके लिए काफ़ी नहीं था।

इस अवसर में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी क्षमताओं का उत्तम प्रदर्शन किया इन सब से उत्कृष्ट

का ही चयन होना था जिसमें आकांक्षा ने अपनी कड़ी

मेहनत के साथ प्रतिभा का प्रदर्शन कर प्रथम स्थान हासिल किया।

छोटे क़सबे में रहने वाले लोगों के बीच आकांक्षा ने अपनी आकांक्षाओ को सर्वप्रथम रखा।

अधिक वज़न की महिलाओं को समाज में कुछ ख़ास तरह के पहनावे ही तथाकथित है

की ये कपड़े बस उनपर अच्छे जचेंगे बाक़ी कपड़े वो लोग जैसे पहन ही नहीं सकती,

तुम जींस मत पहनना मोटी हो तुम, वो कपड़े पहनो जिसमें तुम सुंदर दिखो,

ये वाक्य अक्सर हम अपने आसपास के माहौल में आसानी से सुन सकते है।

क्या दूसरों को जो अच्छा लगे सिर्फ़ वो ही कपड़े पहनने होंगे या जो आपको अच्छा

लगे और जो आप पहनना चाहो वो पहनना ठीक होगा। इस तरह के विचारों से तो अधिक

वज़न के लोगों को जीना ही दुसबार होगा वो किसी भी मंच के लिए नहीं बनी है।

मॉडलिंग जैसी चीज़ें तो काल्पनिक होंगी उनके लिए। इन सब बातो को नकारते हुए

आकांक्षा अपने लक्ष्य को निर्धारित कर चुकी थी और अपने कर्तव्य के प्रति अनुशासित थी।

लोग तय नहीं करेंगे की वो क्या चाहते है हमेशा आपका चुनाव होना चाहिए की आपको क्या पसंद है।

आकांक्षा रॉय यहाँ सभी को ये संदेश देना चाहती है की ऐसा नहीं है

की उनको समाज या लोगों ने नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की,

नितिन दुबे

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