Anshuman Singh Rajput: The Bhojpuri Star Who Doesn't Want to Be a Comet
Anshuman Singh Rajput: The Bhojpuri Star Who Doesn't Want to Be a Comet

Bollywood News: धूम केतु की एक खासियत होती है, वो बहुत तेज़ी से चमकता है और बहुत तेजी से लुप्त हो जाता है.नब्बे के दशक में सिनेमा के आकाश पर ऐसा ही धूमकेतु चमका था, अजय देवगन के रूप में, पहली ही फिल्म से रोशन हो गए, फिर जो फिल्में हाथ लगी, उसे बिना सोचे समझे साइन करते चले गए और नतीजा ये हुआ की कैरियर खत्म होने के कगार पर आ गया, लेकिन अजय ने बहुत समझदारी से अल्पविराम लिया और अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की, और फिर ऐसी कामयाबी हिस्से आई की आज 56 साल की उम्र में भी सिनेमा के परदे को रोशन कर रहे है।दो दशक बाद अजय देवगन की कहानी फिर दोहराई गई भोजपुरी सिनेमा के एक सितारे के साथ, जिसका नाम है, अंशुमान सिंह राजपुत.

अंशुमान का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव चिलकहर में 17 सितंबर को प्रेमचंद्र सिंह के वहां हुआ.

बलिया स्वतंत्रा संग्राम के बागियों की धरती है, जहां देश पर कुर्बान होने वाले वीरों ने जन्म लिया, और आज वहां के जवान आईएएस आफिसर, सेना का जवान, डाक्टर या इंजिनियर बन कर देश सेवा में समर्पित है, लेकिन अंशुमान के दिलो दिमाग में क्रिकेट और सिनेमा के रुपहले परदे का इंद्रधनुषी रंग बिखर रहा था, उसे सिनेमा की दुनियाँ में सितारा बन के रोशन होना था.और क्रिकेट उसकी पहली मुहब्बत।
सिनेमा की दुनियां परिवार की सोच के विपरीत थी,पर परिवार ने अंशुमान को अपनी मर्जी से कैरियर की राह चुनने की अनुमति दे दी।

अब चुनौती थी अंशुमान के सामने, उसे पता था सिनेमा की राह वैसी है, जैसे गंगा के पानी से खेत पिरोना,

लेकिन अंशुमान की सोच और समझ औरों से थोड़ी अलग थी, उसने पहले सिनेमा को समझने की सोची ताकि वो खुद को तैयार कर सके, अपनी चुनौती को पटखनी दे सके और फिर वो दिल्ली में बैरी जॉन से अभिनय की कला सीखने लगा.चार साल अभिनय की बारीकियां सीख कर उसने सिनेमोटोग्राफी सीखा NDTV से जुड़ा, एडिटिंग की तकनीकी सीखी, और फिर मुंबई आ गया.

मुंबई आ कर अंशुमान को कठिन संघर्ष नहीं करना पड़ा, क्युकी उसके हाथ में सिनेमा से जुड़ने के तीन हुनर थे, उसने आपसे पहले अभिनय के तुरुप का पत्ता खेला और मल्टीस्टारर फिल्म “बार्डर” में काम करने का मौका मिल गया, फिल्म बड़ी थी, लेकिन अंशुमान का किरदार छोटा था, फिर भी उसने अपनी पहचान बड़े परदे पर छोड़ दिया. कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, वो अपनी राह खुद बना लेती है, बार्डर के बाद अंशुमान को भोजपुरी फ़िल्में मिलने लगीं. लेकिन उसी दौरान अंशुमान को ज़ी गंगा का सीरियल मिला, “मितवा”, इस सीरियल ने अंशुमान के कैरियर को उड़ान दे दिया. एक पहचान दे दिया.ये साबित कर दिया की उसके अभिनय का रेंज क्या है, वो कैसे भोजपुरी में औरों से अलग है.

अंशुमान ने दिलवा ले के गईल राजा , सरफ़रोश , प्रीत का दामन, जग कल्याणी पाटनी देवी मैय्या,हम तुम्हारे है सनम जैसी फिल्मे हाथ लगी,लेकिन उसे एहसास हुआ की उसके पास फिल्मों की कतार तो है, फ़िल्में बनती है,रिलीज होती है और चली जाती है, ऐसे तो सिर्फ उससे हिस्से फिल्मों से पैसा आ रहा है, उसके सपने तो वही के वहीँ थके हारे जम्हाई भर रहे है और अगर ऐसा ही रहा तो उसके कैरियर के लिए घातक है. अजय देवगन की तरह अंशुमान ने अल्पविराम लिया, मकसद सिर्फ अच्छी फ़िल्में करना नहीं था, बल्कि अलग फ़िल्में करना था. और इस अल्पविराम में उसे B4U भोजपुरी का साथ मिला, जिसमे उसकी फिल्म “कार्पोरेट बहु” खूब चर्चित हुयी, भोजपुरी सिनेमा ने हिंदी फिल्मों का रूख़ पकड़ा, नया कांसेप्ट ले कर आये.

अभी अंशुमान सिर्फ चुनिंदा फ़िल्में ही कर रहे है, इन दिनों मंजुल ठाकुर की एक फिल्म का शूट चल रहा है, एक बड़ी फिल्म इसी महीने जौनपुर में शुरू हो रही है, फिर लगातार तीन फिल्मों का शूट लाइनअप है, उसके बाद उनकी तीन और फिल्मों का प्रीप्रोडक्शन चल रहा है जो 2024 के जनवरी से शुरू होंगी.

अंशुमान बेहतरीन अभिनेता है,खूबसूरती के साथ साथ सारे गुण है जो एक अभिनेता में होने चाहिए, फिर भी अंशुमान ने हिंदी के बजाय भोजपुरी में भाग्य क्यो आजमाया?

इस बारे में अंशुमान कहते है, “आज सिनेमा उस दौर में है, जहां भाषा का बंधन नहीं रहा, अब आपकी प्रतिभा देखी जाती है, हिंदी की एक वेब सीरीज मैने किया है, जो जल्दी ही रिलीज होगी, भोजपुरी मेरी मातृभाषा है, उसकी मिट्टी में ही हम खेल कर बड़े हुए, मुंबई आते ही मुझे जब सामने से भोजपुरी फिल्म का ऑफर आया तो मैं अपनी मातृभाषा की मुहब्बत में इंकार नहीं कर सका, फिल्म भी मल्टी स्टारर थी, मुझे लगा एक फिल्म कर लेते है, फिर दिखेंगे,लेकिन “बार्डर” के बाद लगातार एक के बाद एक फिल्में आती चली गई, और मैं बिना सोचे फिल्में करता चला गया, मौका ही नही मिला की हिंदी फिल्मों के लिए स्ट्रगल कर सकूं, अभी मैं भोजपुरी में सिर्फ चुनी हुई फिल्में कर रहा हूं और कोशिश है हिंदी के कुछ अच्छे रोल मिले, कुछ निर्देशक संपर्क में है, अब देखते है कब समय का पहिया घूमता है”

इस साल बालकिशन सिंह निर्देशित उनकी फिल्म “दीवाना दिल माने ना ” और विष्णु शंकर वेलु की फिल्म “सरस्वती” रिलीज होगी।

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