औकात क्या है तुम्हारी
औकात क्या है तुम्हारी

औकात क्या है तुम्हारी…?जवाब मिलता है : हां साहब, मेरी औकात ही क्या है…??

असल जवाब कुछ देरी के साथ आया, लेकिन सटीकता लिए हुए आया…! बड़े साहब को किसी की औकात पूछना महंगा पड़ गया…! एक औकात मारे, मामूली(?) से ड्राइवर को खुश करने के लिए बड़े साहब की कुर्सी चली गई…! मन मोहने वाला ये तात्कालिक फैसला शायद न भी आता, अगर दो दिन देशभर की सड़कों पर अव्यवस्था, जनता की मुश्किल और सरकार की लाचारी न पसरी पड़ी होती…! शायद ये आनन फानन का फरमान तब भी इतनी गति न पकड़ा होता, अगर चंद कदम दूर खड़े एक बड़े चुनाव की आहटें सुनाई न दे रही होती…!

एक मामूली इंसान से अभद्रता का लहज़ा अपनाने पर जो तत्परता अपनाई गई है, उन्हीं बड़े साहब के अदना से पटवारी या पटवारी के पीए तक आमजन से हर रोज़ दस बीस गुना ज्यादा दम से अभद्र होते रहते हैं…! किसान, मजदूर, युवा बेरोजगार या पेंशन के लिए धक्के खाते बुजुर्ग… हर दिन, हर दफ्तर अपनी बे इज्जती का घूंट गुटकते रहते हैं…! पब्लिक सर्वेंट, पब्लिक का माई बाप बनकर उन्हें जलील करता रहता है… लेकिन न कोई पुकार, न कोई सुनवाई…!

नए नए सरकार ने एक संदेश से पब्लिक सर्वेंट में खोफ पैदा करने में महारत हासिल की या नहीं, इसका पता तो तब लगेगा, जब बाकी पब्लिक सर्वेंट भी इस कार्यवाही से कोई इबरत हासिल करेंगे…!
साहब की अनुशासन प्रियता, बदतमीजी और अभद्रता के खिलाफ उनके व्यवहार से प्रदेश निहाल हो सकता है…! उनकी न्याय प्रियता की जय जयकार भी कर सकता है…! लेकिन प्रदेश के स्थाई विपक्ष का परचम उठा चुकी पार्टी की अधकचरी मंशा बार बार उस वायरल वीडियो को खंगाल रही है, जो ताजपोशी के बाद तेज़ी से बाजार में आया था…! साहब के शुद्ध भारतीय अंदाज़ में गुस्से की पराकाष्ठा के साथ लोगों को सद वचनों से सम्मानित किए जाने वाले इस विडियो और अनुशासन का पाठ पढ़ाते नए वीडियो का मिलान कर कहा जा रहा है, एक तमगे से इंसान में कितना बदलाव आ सकता है…!

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