भारत ने तुर्की को सख्त लहजे में दी चेतावनी, कश्मीर की सच्चाई समझे बिना आगे न करे बयानबाजी

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा है

कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और उसने तुर्की को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि इस मुद्दे पर आगे कोई भी बयान देने से पहले उसे तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने यूएन जनरल असेंबली में यूएनजीए में कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के बयानों पर अफसोस जताया है। यही नहीं भारत ने मलेशिया से भी साफ कर दिया है कि वह उसके आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश न करे। गौरतलब है कि दोनों देशों ने यूएन जनरल असेंबली में कश्मीर का राग अलावा था। इसी के जवाब में अब भारत ने आधिकारिक रूप से दोनों देशों से अपनी नाखुशी जता दी है और उन्हें भविष्य में भारत के आंतरिक मामलों का ध्यान रखने की हिदायत दी है।

आगे से बयानबाजी से पहले सोच ले तुर्की यूएनजीए में तुर्की के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि, “पहले हमारा मित्रवत संबंध था, लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया, जो दुर्भाग्यपूर्ण, गैरजरूरी और तथ्यों पर आधारित नहीं था। हम मलेशिया की तरह उनके स्टैंड पर भी अफसोस जताते हैं।” विदेश मंत्रालय ने तुर्की को बता दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर आगे कोई भी बयान बिना जानकारी हासिल किए देना बंद कर दे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, “हमनें तुर्की सरकार से कहा है कि इस मामले में आगे कोई भी बयान देने से पहले जमीनी परिस्थितियों की पुख्ता जानकारी जरूर जुटा ले। यह विषय पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।”

तुर्की-मलेशिया ने उठाया था मुद्दा इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसप तैय्यप एर्दोगन ने यूएनजीए में अपने भाषण के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया था।

उन्होंने कहा था कि इस समस्या को अनिवार्य तौर पर, “न्याय और हिस्सेदारी के आधार पर बातचीत होनी चाहिए, टकराव के माध्यम से नहीं।” उन्होंने ये भी कहा था कि दक्षिण एशिया में स्थिरता और समृद्धि को कश्मीर मुद्दे से अलग नहीं किया जा सकता। यही नहीं यूएनजीए में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी भारत पर जम्मू-कश्मीर को कब्जे में रखने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि “इस कार्रवाई के पीछे कोई भी कारण हो, लेकिन फिर भी गलत है। समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना आवश्यक है। इस समस्या के समाधान के लिए भारत को पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना चाहिए। यूएन को नजरअंदाज करना उसको और कानून के शासन को तिरस्कृत करने जैसा होगा।

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