Digvijay
राज्यसभा चुनाव- उमंग के निशाने पर फिर दिग्विजय

Bhopal News- मध्यप्रदेश में सियासी ड्रामे के बीच एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार के कबीना मंत्री उमंग सिंघार आमने-सामने आ गए हैं।

श्री सिंघार ने जिस तरह से ट्वीट किया है उससे यह तय है कि इन दोनों नेताओं के बीच अब भी खटास है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- ‘माननीय कमलनाथ जी की सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है। यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं। इस ट्वीट के साथ उन्होंने मजाक करने वाली तीन स्माइली बनाई हैं। उनके ट्वीट को भाजपा और कांग्रेस ने अलग-अलग संदर्र्भ में लिया है।

भाजपा ने जहां सिंघार के ट्वीट को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से उनके विवाद को जोड़ा है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि उनका यह ट्वीट हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर है।

सिंघार के बयान को भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने रिट्वीट किया। कहा-तमाचा है उन लोगों पर जो आरोप हमारे ऊपर लगा रहे थे…अब कांग्रेसी बताएं कि कमलनाथजी की सरकार को राजा गिराना चाहता है या महाराजा। उनका इशारा दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर है। दरअसल तीन दिन से चल रहे पूरे राजनैतिक मामले को राज्यसभा निर्वाचन से जोड़कर ही देखा जा रहा है। राज्यसभा चुनाव में पार्टी की जीत तय करने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी करने का फैसला कर लिया है। नाथ सरकार के सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह का कहना है कि हम अपने विधायकों को एक व्हिप जारी करने जा रहे हैं।

यदि हमारे किसी भी विधायक ने इसका उल्लंघन किया तो उसकी सदस्यता एक घंटे में समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि मप्र की तीन राज्यसभा सीटों के लिए मार्च में चुनाव होना हैं। वर्तमान में इन तीन सीटों से दिग्विजय सिंह कांग्रेस, सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा (दोनों बीजेपी) राज्यसभा सांसद है।

दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव हार गए थे, ऐसे में वह फिर से राज्यसभा जाना चाहते हैं। वहीं, गुना लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बना सकती है। दूसरी तरफ बीजेपी भी अपने कब्जे की दो सीटों को हर हाल में अपने पास रखना चाहेगी, क्योंकि राज्यसभा में उसे खुद को मजबूत करना है।
क्या है रास की सीटों का गणित

वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद संख्या बल को देखते हुए दो सीटों के कांग्रेस

जबकि एक भाजपा के खाते में जाने की उम्मीद है। मप्र में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में हर प्रत्याशी को कम से कम 58 वोटों की जरूरत होगी। मप्र में 230 विधानसभा सीटें हैं। दो विधायकों का निधन होने से वर्तमान में 228 सदस्य हैं। अभी कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को 2 बसपा और 1 सपा विधायक सहित 4 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। यानी कुल 121 विधायकों का समर्थन है।

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