Supreme Court sends notice to Center on new petitions filed against CAA
Supreme Court sends notice to Center on new petitions filed against CAA

(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) को लेकर केंद्र सरकार को पांच ताजा याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है, जिसमें विभिन्न आधार पर सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

सीएए (CAA) को 10 जनवरी को अधिसूचित किया गया था। इस कामून में यह अधिकार दिए गए हैं कि जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक उत्पीड़न के बाद 31 दिसंबर, 2014 तक भारत चले आए हैं, उन्हें यहां की नागरिकता दे दी जाएगी।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे,(S. a. Bobde) न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित सुनवाई में तमिलनाडु तौहीद जमात, शालीम, ऑल असम लॉ स्टूडेंट्स यूनियन, मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (असम) और सचिन यादव द्वारा दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।

अदालत ने इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं के पहले बैच के साथ इसे नत्थी करने का आदेश भी दिया।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) (IUML) प्रमुख याचिकाकर्ता है। पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह सीएए की संवैधानिक वैधता की जांच करेगी, लेकिन अदालत ने कानून के संचालन पर रोक से इनकार कर दिया था। सीएए के खिलाफ लगभग 160 याचिकाएं दायर की गई हैं।

एक याचिका में कहा गया है कि यह सीएए की घोषणा के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल उठा रहा है, जहां पहली बार धर्म को तीन पड़ोसी देशों के अनिर्दिष्ट प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक शर्त के रूप में पेश किया गया है।

दलील दी गई कि व्यक्ति की धार्मिक पहचान के आधार पर वर्गीकरण धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, जो संविधान का एक अभिन्न अंग है।

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