Madhya Pradesh में सबसे महंगी जमीन

Bhopal Is most expensive land
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भोपाल – Madhya Pradesh land मध्य प्रदेश से सटे हुए पांच राज्यों में सबसे महंगी जमीन मध्यप्रदेश में बिक रही है।

महाराष्ट्र गुजरात राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य की तुलना में मध्य प्रदेश की जमीनों के रेट,

कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार लगभग 2 गुना ज्यादा है।

जिसके कारण मध्य प्रदेश का रियल स्टेट सेक्टर इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।

2010-11 से मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर जो कलेक्टर गाइडलाइन तैयार हो रही हैं।

Madhya Pradesh land उसमें सरकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए मनमाने तरीके से जमीनों के रेट बढ़ाए गए।

रजिस्ट्री के जरिए मध्य प्रदेश सरकार का खजाना बड़ी तेजी के साथ बढ़ा।

किंतु 2015 के बाद से रियल स्टेट (duplex in bhopal) में आई मंदी के बाद

मध्य प्रदेश का रियल एस्टेट कारोबार लगभग ढपप हो गया है।

दोहरी मार

भूखंड, फ्लैट अथवा डुप्लेक्स खरीदने वाले कलेक्टर गाइडलाइन से रजिस्ट्री शुल्क चुकाने विवश होते हैं।

कलेक्टर गाइडलाइन से कम कीमत पर संपत्ति खरीदने पर भी,

कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार स्टांप ड्यूटी और फीस क्रेता को भरनी होती हैं।

रजिस्ट्री होने के बाद आयकर विभाग क्रेता को नोटिस देकर वास्तविक कीमत से ज्यादा कलेक्टर

गाइडलाइन के रेट पर हुई रजिस्ट्री के अनुसार टैक्स जमा करने का नोटिस जारी करता है।

जिसके कारण अब रियल एस्टेट में खरीद-फरोख्त लगभग बंद हो गई है।

2010-11 से 2017-18

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2010- 11 में 9000 प्रति वर्ग मीटर, plots in bhopal

अरेरा कॉलोनी में 28000 प्रति वर्ग मीटर, एमपी नगर में 25000 प्रति वर्ग मीटर,

10 नंबर मार्केट में 35000 वर्ग मीटर, जवाहर चौक में 25000 प्रति वर्ग मीटर,

आवासीय भूखंड के रेट कलेक्टर गाइडलाइन में थे। जो 2017- 18 में बढ़कर

होशंगाबाद रोड में 60,000 प्रति वर्ग मीटर, अरेरा कॉलोनी में 65000 प्रति वर्ग मीटर,

एमपी नगर में 100000 प्रति वर्ग मीटर, 10 नंबर मार्केट में 95000

प्रति वर्ग मीटर और जवाहर चौक में 80000 प्रति वर्ग मीटर निर्धारित की गई है।

मध्यप्रदेश में पंजीयन विभाग ने वर्ष 2017- 18 के लिए 4300 करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया था।

जो 2018- 19 में 5600 करोड़ रुपए का करने का लक्ष्य बनाया जा रहा है।

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टर गाइडलाइन के रेट बढ़ाए जा रहे हैं।

जिसके कारण रियल स्टेट का कारोबार पूरी तरह खत्म हो जायगा। उल्लेखनीय है,

देशभर में किसी भी राज्य में, इतने बड़े पैमाने पर कलेक्टर गाइडलाइन के रेट नहीं बढ़ाए गए।

कलेक्टर गाइडलाइन में अरबों का घोटाला

कलेक्टर गाइडलाइन के नाम पर मध्यप्रदेश में अरबों रुपए का घोटाला हो रहा है।

लोगों ने कम कीमत पर जमीन खरीदकर बैंकों से कलेक्टर गाइडलाइन की कीमत पर कर्ज़ ले लिया है।

उसे चुका भी नहीं रहे हैं। जिसके कारण राष्ट्रीयकृत बैंको और निजी बैंकों को अरबों रुपए का चूना लग रहा है।

कर्ज नहीं चुकाने वालों की बैंकों द्वारा जमीन और भवन नीलाम किए जाने पर कलेक्टर गाइडलाइन

की कीमत से आधी कीमत पर भी नीलाम की जाने वाली संपत्ति या नहीं बिक रही हैं।

कुछ इसी तरीके की स्थिति जमीन अधिग्रहण में सरकार को भी अरबों रुपए ज्यादा चुकाने पड़े है।

पंजीयन विभाग से सरकार को जो आमदनी हो रही है।

अधिग्रहित जमीनों का मुआवजा केंद्र और राज्य सरकारों को इस तुलना में ज्यादा देना पड़ रहा है।

इसके बाद भी सरकारी अधिकारी और वित्त विभाग इस संबंध में आंख मूंद पर बैठा हुआ है।

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