मॉव लिंचिंग के विरूद्ध कानून
मॉव लिंचिंग के विरूद्ध कानून

अनुकरणीय कदमअन्य राज्य भी करें अनुसरण, यह कानून किसी भी प्रकार की हिंसा के विरूद्ध,
कमलनाथ सरकार की ‘‘जीरो टॉलरेंस’’ की नीति का स्पष्ट संदेश: शोभा ओझा

भोपाल – मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा (Shobha Ojha) ने कहा कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने माब लिंचिंग के विरूद्ध कानून बनाने का जो फैसला लिया है, वह स्वागत योग्य है। गौवंश के नाम पर हो रही वीभत्स हत्याओं को रोकने के लिए कानून बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य और एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण बन गया है, जिसका अन्य राज्यों को भी अनुसरण करना चाहिए।

आज जारी अपने बयान में श्रीमती ओझा ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में मॉब लिंचिंग के चलते देशभर में लगभग 150 हत्याओं के मामले सामने आये हैं।

उत्तर प्रदेश के दादरी में भीड़ द्वारा की गई अखलाक की निर्मम हत्या का बहुचर्चित मामला हो, झारखंड के लातेहर में मजलूम अंसारी और इम्तियाज खान की हत्या के अलावा चार अलग-अलग मामलों में नौ लोगों की मॉब लिंचिंग द्वारा हत्या, अलवर में पहलू खान की हत्या के साथ ही गौ रक्षकों द्वारा की गई उमर खान और रकबर खान की हत्या और असम में गौ रक्षकों द्वारा दो युवकों की हत्याओं से लेकर अभी हाल ही में झारखंड के बहुचर्चित शम्स तबरेज की भीड़ द्वारा की गई नृशंस हत्याओं तक, देश ने एक ऐसा खौफनाक दौर देखा है, जिसमें गाय के नाम पर इंसानों की बलियां ली गई हैं।

श्रीमती ओझा ने कहा कि अधिकांश मामलों में इन हत्याओं में बजरंग दल और उससे जुड़े गौ रक्षक

समिति आदि अन्य छद्म संगठनों के लोग ही लिप्त पाये गये और यह भी उजागर हुआ कि ये लोग धर्म की रक्षा के नाम पर अवैध वसूलियों में लिप्त थे और पैसा न मिलने पर ये निर्मम पिटाई और हत्याएं करते थे, किन्तु मॉब लिंचिंग के विरूद्ध कानून बन जाने के बाद प्रदेश में गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को 6 महीने से लेकर तीन साल तक जेल की हवा खानी पड़ेगी।

श्रीमती ओझा ने कहा कि मध्यप्रदेश में भी पिछले 15 वर्षों तक भाजपा की सरकार के चलते इन हिंसक संगठनों पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई और घोर जंगलराज के चलते अन्य जघन्य अपराधों के साथ ही गौ रक्षा के नाम पर भी हिंसक घटनाएं और अवैध वसूलियां बेखौफ चलती रहीं, किन्तु अब, जबकि राज्य में कांग्रेस की जनहितैषी कमलनाथ सरकार बनी है, तब मॉब लिंचिंग के विरूद्ध सख्त कानून बनाने का फैसला लेकर, यह सिद्ध कर दिया गया है कि भाजपा के जुमलों के विपरीत, कांग्रेस ही वह पार्टी है, जिसकी किसी भी हिंसा के विरूद्ध ‘‘जीरो टॉलरेंस’’ की नीति है और उसका साफ संदेश भी मॉब लिंचिंग के विरूद्ध कानून बनाने के इस फैसले से दे दिया गया है।

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