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AI misuse

“AI Misuse” भारत में जल्द होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर एक नई चुनौती सामने आ रही है – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दुरुपयोग. इस खतरे को ध्यान में रखते हुए, टेक दिग्गज गूगल ने अपने AI चैटबॉट जेमिनी को चुनाव से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से रोक दिया है. यह कदम उन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास है जिनके अनुसार चुनाव प्रचार में AI का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. गौरतलब है कि भारत के अलावा इस साल दुनिया के कम से कम 64 देशों में राष्ट्रीय चुनाव होने हैं, जो वैश्विक स्तर पर चुनावों में AI के दुरुपयोग की संभावना को और भी बढ़ा देता है.

OpenAI, जो AI चैटबॉट ChatGPT को बनाने वाली कंपनी है,उस कंपनी ने भी इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाई है. जनवरी में उन्होंने चुनाव के दौरान गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने की अपनी रणनीति का खाका पेश किया. OpenAI की योजना गलत जानकारी देने वाले और लोगों को मतदान से हतोत्साहित करने वाले कंटेंट को रोकने पर केंद्रित है. साथ ही वे यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी व्यक्ति या संस्था फर्जी चैटबॉट के जरिए उम्मीदवार या संस्थान होने का नाटक न करे.

यह कदम स्पष्ट संकेत देते हैं कि आने वाले समय में चुनावों में AI की भूमिका अहम होने वाली है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि AI का इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने या गलत सूचनाएं फैलाने के लिए न किया जाए. इसके विपरीत, हमें यह प्रयास करना चाहिए कि AI को चुनावों को अधिक स्वतंत्र, निष्पक्ष और सुगम बनाने में इस्तेमाल किया जाए.

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