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कमलनाथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं क्या होगा बड़ा उलटफेर?

MP News-स्व इंदिरा गांधी ने अपने दो बेटों संजय गांधी और राजीव गांधी के बीच तीसरे पुत्र का अधिकृत तमगा कमलनाथ को दिया था। ये अधिकार और सम्मान पार्टी में किसी नेता के हिस्से नहीं आया। करीब 9 बार संसद की सीढ़ी भी वे चढ़ चुके हैं। 1991 से 2014 तक कांग्रेस की हर सरकार के दौरान कमलनाथ (Kamal Nath) के पास केंद्रीय मंत्री होने का रसूख भी बरकरार रहा। लेकिन करीब 78 बरस की उम्र में अब उन्हें इस बात का मलाल हो गया है कि उन्हें पार्टी से उचित सम्मान नहीं मिल पाया। कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने की कमलनाथ की अटकलों ने प्रदेश के कांग्रेसी बाड़े को खाली करने के हालात बना दिए हैं। पिछले करीब एक माह में बड़ी तादाद में कांग्रेस नेताओं का भाजपा की तरफ कुछ हो चुका है, जबकि कमलनाथ की रुखसत के साथ एक बड़ी जमात की कांग्रेस को विदा कहने की तैयारी दिखाई दे रही है। इनमें मौजूद विधायकों से लेकर कई पूर्व विधायक और महापौर शामिल हैं। साथ ही जाने वालों में पदाधिकारियों की भी बड़ी संख्या है।
प्रदेश की सियासत में शिखर तक पहुंच कर निचले पायदान की तरफ जा रहे कमलनाथ अपने सियासी कार्यकाल में 9 बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 1991 से 2014 के बीच केंद्र में जितनी भी बार कांग्रेस की सरकार रही, कमलनाथ के जिम्मे मंत्री पद रहा है। इस दौरान वे पर्यावरण एवं वन, वाणिज्य एवं उद्योग, सड़क परिवहन और राजमार्ग जैसे महत्वपूर्ण विभागों से जुड़े रहे हैं। सियासत की इस महत्वपूर्ण पारी में पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपने परिवार का हिस्सा करार देते हुए अपना तीसरा बेटा करार दिया था।

और शुरू हुआ विचलन

विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। तत्कालीन अध्यक्ष अरुण यादव समेत प्रदेश के कई सीनियर नेताओं की नाराजगी के साथ ये निर्णय लिया गया था। कमलनाथ की अगुवाई ने कांग्रेस को जीत भी दिलाई और प्रदेश में वह सरकार बनाने में कामयाब भी हो गई। इसके साथ ही सीएम, पीसीसी चीफ और हर निर्णय पर एकाधिकार जमा चुके कमलनाथ के खिलाफ नाराजगियों का दौर शुरू हुआ तो कांग्रेस के बड़े बिखराव और हाथ आई सत्ता के फिसल जाने के रूप में नतीजे आए। बाकी बचे कार्यकाल में कांग्रेस की लचरता ने उसे हार के गर्त में धकेला और तभी से कमलनाथ की विदाई की चर्चाएं चल पड़ी थीं। लेकिन नैतिकता के तकाजों को दरकिनार करते हुए नाथ ने इस्तीफा नहीं दिया। नतीजा केंद्रीय संगठन ने बलात रूप से उनके पद वापस लेते हुए जिम्मेदारी जीतू पटवारी को नया पीसीसी चीफ बना दिया। बिना पद के हुए कमलनाथ को आखिरी उम्मीद राज्यसभा की कांग्रेस हिस्से की एक सीट से थी, लेकिन उन्हें वहां भी निराशा ही लगी।

सियासी उथलपुथल तेज

पिछले कई दिनों से चल रही मीडिया और सोशल मीडिया खबरों (social media news) ने शनिवार से सिर उठा रखा है। जिसमें कहा जा रहा है कि कमलनाथ अपने बेटे सांसद नकुलनाथ और कई विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम रहे हैं। कार्यक्रम स्थल से लेकर इसमें शामिल होने वाले मेहमानों तक के नाम और समय तक इसमें घोषित कर दिया गया है। जबकि कमलनाथ या भाजपा की तरफ से कोई अधिकृत ऐलान नहीं किया गया है। जहां कमलनाथ ऐसी संभावनाओं से इंकार कर रहे हैं, वहीं पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस बात को असंभव बता रहे हैं। उधर भाजपा के केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी रविवार को ये स्पष्ट कर दिया है कि कमलनाथ के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हैं। लेकिन इस बीच कमलनाथ से लेकर उनके समर्थक नेताओं द्वारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस का लोगो हटा दिया जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच इन नेताओं की राम राम की रट भी बता रही है कि मामले में कुछ तो संभावनाएं हैं, जो समय के साथ मंजर ए आम पर दिखाई दे सकती हैं।

ऐसे तो हो सकता है बाड़ा खाली

कमलनाथ की भाजपा में जाने की घोषणा होती है तो उनके साथ जो नेता उस तरफ खड़े होंगे, उनमें करीब 22 विधायक और 17 पूर्व विधायकों के नाम लिए जा रहे हैं। ये विधायक व पूर्व विधायक कमलनाथ के समर्थक माने जाते हैं। जो विधायक भाजपा में कमलनाथ के जाने पर उनके साथ खड़े होंगे उनमें विधायकों में सबसे प्रमुख नाम दिनेश गुर्जर, केशव देसाई, डॉ. सतीश सिकरवार, कैलाश कुशवाह, ऋषि अग्रवाल, हरिबाबू राय, रामसिया भारती, अभय मिश्रा, लखन घनघोरिया, नारायण सिंह पट्टा, चैनसिंह वरकड़े, संजय उइके, मधु भाऊ भगत, अनुभा मुंजारे, विवेक पटेल, संजय उइके, कमलेश प्रताप शाह, चौधरी सुमेर मेरसिंह, विजय रेवनाथ चौरे, सोहनलाल वाल्मिकी, नीलेश उइके, केदार डाबर, बाला बच्चन, प्रताप ग्रेवाल हैं। इसी तरह पूर्व विधायकों में सुखदेव पांसे, सज्जनसिंह वर्मा, तरुण भनोत, हुकुमसिंह कराड़ा, हर्ष यादव, संजय यादव, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, विनय सक्सेना, डॉ. अशोक मर्सकोले, हिना कांवरे, धरम सिंह सिरयाम, निशंक जैन, रामलाल मालवीय, मनोज चावला, प्रकाश जैन के नाम हैं।

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