प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) के तहत करीब दस लाख लाभार्थी ऐसे पाए गए हैं
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) के तहत करीब दस लाख लाभार्थी ऐसे पाए गए हैं

प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत लगभग दस लाख लाभार्थी नहीं थे पात्र

New Dehli – भारत में लगभग 80 हजार ऐसी कंप‎नियां हैं जिन्होंने केंद्र सरकार को 300 करोड़ रुपए की चपत लगाई है।

इन कंपनियों ने संगठित क्षेत्र में नई नौकरियां उपलब्ध करने के लिए चलाई जा रही योजना के तहत सरकार से वित्तीय प्रोत्साहन लिया। प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) के तहत करीब दस लाख लाभार्थी ऐसे पाए गए हैं जो इसके पात्र नहीं हैं। ये लोग योजना की शुरुआत से पहले से ही संगठित अर्थव्यवस्था का हिस्सा थे। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने इन कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में लेनदेन पर रोक लगा दी है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राजग सरकार ने 2016 में PMRPY की घोषणा की थी।

इसके तहत सरकार नए कर्मचारियों की भविष्य निधि राशि का एक हिस्सा खुद वहन करती है ताकि कंपनियों के वित्तीय बोझ को साझा किया जा सके। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के अपने बजट भाषण में कहा था कि इस योजना का मकसद कंपनियों को बेरोजगारों को नौकरी देने और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह योजना अगस्त 2016 को अस्तित्व में आई थी और यह 1 अप्रैल, 2016 से नौकरी पर रखे गए नए कर्मचारियों के लिए थी।


PMRPY योजना के जरिये केंद्र सरकार तीन साल तक कर्मचारी की भविष्य निधि राशि में नियोक्ता का हिस्सा देती है। अभी कर्मचारी के वेतन में से 24 फीसदी राशि पीएफ खाते में जाती है। इसमें आधा हिस्सा नियोक्ता का और आधा कर्मचारी का होता है। 15 हजार रुपये तक मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य है।

इस योजना के सबसे अहम शर्त यह है कि कंपनियों को उसी स्थिति में सरकार से वित्तीय समर्थन मिलेगा जब वे ऐसे कर्मचारी को नौकरी पर रखेंगी जो पहले ईपीएफओ योजनाओं का हिस्सा न रहा हो। 16 जुलाई 2019 तक करीब 80 हजार कंपनियों के 898,576 कर्मचारी ऐसे पाए गए जिनका पहले से ही पीएफ खाता था। यह संख्या इस योजना से लाभांवित हुए 1.21 करोड़ कर्मचारियों में से करीब 7 फीसदी है। ईपीएफओ जुलाई 2019 तक ऐसे कर्मचारियों से 222 करोड़ रुपए वसूल चुका है।

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