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राजधानी के 75 फीसदी हिस्सो में ड्रेनेज सिस्टम नहीं

Bhopal Samachar – राजधानी भोपाल में अगर सामान्य से ज्यादा बारिश होती हैं तो शहर के करीब 30 फीसदी हिस्सो में पानी भरने की आशंका हैं। इसका कारण हैं की शहर के 75 फीसदी हिस्सो में बारिश के पानी की निकासी के लिए कोई ड्रेनेज सिस्टम नहीं है।

जिसकी वजह से जल भराव की स्थिति बनती है। इसका खुलसा खुलासा ग्रीन ब्लू मास्टर प्लान की रिपोर्ट में किया गया है। बता दे की शहर से बारिश के पानी की प्रॉपर निकासी के लिए 1620 किमी का ड्रेनेज सिस्टम की जरूरत है, लेकिन इसके बदले सिर्फ 451 किमी ही ड्रेनेज नेटवर्क सिस्टम बनाया गया है। बाकी 30 किमी प्राकृतिक नाली से पानी खुद बह जाता है।

जानकारी के अनुसार शहर में नगर निगम, सीपीए, पीडब्ल्यूडी, हाउसिंग बोर्ड आदि एजेंसियां सड़क बनाती हैं लेकिन सड़क के साथ पानी निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम का प्रावधान नहीं किया जाता। जिसके चलते ये समस्या खड़ी होती हैं। करीब 90 फीसदी सड़कों में यही समस्या आती हैं। इसके साथ ही सड़कें समय से पहले ही उखड़ जाती हैं।

वर्तमान में भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (बीएससीडीसीएल) की प्रस्तावित स्मार्ट रोड और बुलेवार्ड स्ट्रीट में ड्रेनेज का प्रावधान किया गया है। ग्रीन ब्लू मास्टर प्लान की मानें तो शहर की नालियों में बारिश के पानी के साथ ही 80 फीसदी सीवेज मिल रहा है। इसका मतलब यह है कि बारिश के दौरान गंदा पानी ही सड़क और घरों में भरता है। जो बीमारी का कारण बनता है।

इन क्षेत्रों में बनती हैं जल भराव की स्थिति

अक्सर हमने देखा हैं की मामूली सी बारिश में ही नाले उफान पर आ जाते हैं। जिसके कारण जल भराव की स्थिति पैदा होती हैं। जल भराव की समस्या ज़्यदा तर कोलार, चांदबड़ एरिया, ऐशबाग, महामाई का बाग, छोला, बाल विहार, छावनी, गिन्नौरी, करोंद, अवधपुरी, सोनागिरी, सुंदरनगर, विद्यानगर, बरखेड़ा पठानी, शाहजहांनाबाद, अशोका गार्डन 80 फिट, जाटखेड़ी, पंचशील, अरेरा कॉलोनी, सैफिया कॉलेज रोड, भोपाल टॉकीज, बल विहार आदि क्षेत्रो में पाई जाती हैं

महापौर आलोक शर्मा का कहना

साल 2006 में आई बाढ़ के बाद शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए नगर निगम ने 30 करोड़ की डीपीआर बनाई थी। जिसमें अशोका गार्डन, पंचशील आदि नालों का निर्माण किया गया था। फिर जेएनएनआरयूएम के तहत वर्ष 2011 में डीपीआर बनी, एजेंसी ने अनुमानित लागत 1200 करोड़ बता दी। बजट अधिक होने से मंजूरी नहीं मिली। फिर वर्ष 2013 में निगम की सीमा वृद्घि होने के बाद नए क्षेत्रों को शामिल किया गया। अमृत योजना के आने के बाद फिर डीपीआर बनी, जो 1600 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन 150 करोड़ के नाले नालियां ही स्वीकृति हो पाए। इस बारे में महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि जल भराव की समस्या न हो इसके लिए अमृत योजना में नाले नालियों को शामिल किया गया है। जो छूट गए हैं उन्हें फिर से शामिल कराया जाएगा। आगामी दिनों में जल भराव की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।

बताते चले की हालही में कुछ दिनों पहले भारी बारिश के चलते सैफिया कॉलेज पर जल भराव की स्थिति बन गई थी। जिसके बाद महापौर अलोक शर्मा वहीं नाले के पानी में कुर्सी लगा कर धरने पर बैठ गए थे।

 

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