अमित मोहन प्रसाद
अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में संक्रमण के 1733 प्रकरण बीते 24 घंटे में सामने

उत्तर प्रदेश में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1733 नये प्रकरण सामने आये जबकि 38 और मौतों के साथ मृतकों का आंकडा शुक्रवार को 1084 पहुंच गया।

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य(Chief Secretary Medical and Health)अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में संक्रमण के 1733 प्रकरण बीते 24 घंटे में सामने आये जबकि प्रदेश में इस समय संक्रमण के उपचाराधीन मामलों की संख्या 16 हजार 445 है।

उन्होंने बताया कि 27 हजार 634 लोग पूर्णतया उपचारित होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं जबकि बीते 24 घंटे में 38 और मौतों के साथ कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों की संख्या बढकर 1084 हो गयी।

उन्होंने बताया कि इस समय प्रदेश में आइसोलेशन वार्ड में 16 हजार 454 लोग भर्ती हैं। उनका इलाज विभिन्न चिकित्सालयों और मेडिकल कालेज में किया जा रहा है। पृथकवास केन्द्रों में 4142 लोग हैं, जिनके सैम्पल लेकर जांच की जा रही है।

उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को सैम्पल टेस्टिंग में नया मुकाम हासिल हुआ और 54 हजार से अधिक टेस्ट किये गये। कुल 54 हजार 207 सैम्पल जांचे गये, जो अब तक का सबसे बडा आंकड़ा है।

इसमें आरटीपीसीआर, एंटीजन और ट्रूनेट से टेस्टिंग शामिल है। कुल मिलाकर अब तक 13 लाख 79 हजार 534 सैम्पल टेस्ट किये जा चुके हैं।

अपर मुख्य सचिव प्रसाद ने बताया कि पूल टेस्टिंग के माध्यम से बृहस्पतिवार को पांच पांच सैम्नल के 2907 पूल लगाये गये, जिनमें से 432 पूल पाजिटिव निकले जबकि दस-दस सैम्पल के 432 पूल लगाये गये, जिनमें से 66 पूल पाजिटिव पाये गये। उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु ऐप का लगातार उपयोग किया जा रहा है।

इस ऐप के जरिए जिन लोगों को एलर्ट आये, ऐसे दो लाख 86 हजार 406 लोगों को स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण कक्ष और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से फोन कर उनका हालचाल लिया गया। उन्होंने बताया कि सर्विलांस का कार्य लगातार चल रहा है।

कुल 29, 873 कंटेनमेंट एरिया में एक करोड़ 24 लाख 35 हजार 528, घरों में छह करोड़ 34 लाख 41 हजार 383 लोगों का सर्विलांस किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक पूरे प्रदेश में ‘डोर टू डोर’ सर्वे का अभियान चल रहा था, जिसके तहत लोगों के घरों पर नंबर लिखे गये, तारीख लिखी गयी और स्टिकर लगाये गये।

ये अभियान 15 जुलाई को समाप्त हुआ और इस दौरान पौने दो लाख लोग ऐसे मिले, जिनमें खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ जैसी बातें दिखायी पडी हैं। उन सभी के सैम्पल एकत्र करने का अभियान चल रहा है। सर्वे के दौरान टीमों ने 75 जिलों में घर घर जाकर जानकारी एकत्र की। पहले से बीमार लोगों के बारे में पूछा, उनका ब्यौरा तैयार किया। उस डाटा का हम उन्हें सावधान करने और बीमारी के प्रबंधन के लिए भी इस्तेमाल करेंगे।

उन्होंने एक नयी सूचना साझा करते हुए बताया कि सरकार ने एल-1, एल-2 और एल-3 अस्पताल की व्यवस्था बना रखी है। इसके अलावा कोविड केयर सेंटर और मेडिकल कालेजों में उपचार चल रहा है। एल-1, एल-2 और एल-3 अस्पतालों में एक लाख 51 हजार बेड उपलब्ध हैं।

डाक्टर विनोद पाल कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप निजी अस्पतालों के लिए कोविड उपचार की दरें अधिसूचित कर दी गयी हैं।

उन्होंने बताया कि अगर कोई निजी अस्पताल पूरे अस्पताल या किसी एक ब्लाक को कोविड

अस्पताल में परिवर्तित करना चाहता है तो उसके रेट पहले ही निर्धारित कर दिये गये थे। उनकी

अधिसूचना जारी कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी तक होम आइसोलेशन (गृह

पृथकवास) की अनुमति नहीं दी गयी है। यह बहुत सोची समझी नीति है क्योंकि जिनमें लक्षण

नहीं आते वो भी संक्रमण फैलाते हैं। अगर घर में किसी को आइसोलेट किया गया है तो वह अपने

घर वालों और बाहर वालों को संक्रमित कर सकता है इसलिए उत्तर प्रदेश में हम किसी पृथकवास

केन्द्र में ही आइसोलेट करते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो बार बार चाह रहे थे कि बेहतर सुविधाएं मिलें और इस बारे में अनुरोध कर रहे थे कि वे भुगतान करने को तैयार हैं, उनके लिए ‘सुलभ एवं सस्ते विकल्प’ पर निर्णय हुआ है

उन्होंने बताया कि शुरूआत हम दो शहरों राजधानी लखनऊ और गाजियाबाद से करने जा रहे हैं।

बाद में इस व्यवस्था को अन्य शहरों में भी लागू किया जाएगा। इसके तहत जिला प्रशासन किसी

होटल का अधिग्रहण कर सकेगा। होटल का निर्धारण करा लेंगे और ‘डबल आकुपेंसी’ पर दो हजार

रूपये प्रतिदिन देय होगा यानी एक व्यक्ति एक हजार रूपये प्रतिदिन रहने खाने का देगा। अपर

मुख्य सचिव ने बताया कि इन होटलों में चिकित्सकीय व्यवस्था राज्य सरकार की होगी।

चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए एकमुश्त दो हजार रूपये लिये जाएंगे, जिसमें डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की सेवाएं मुहैया करायी जाएंगी।

उन्होंने बताया कि ये सुविधा उन लोगों के लिए मुहैया करायी गयी है जो अलग से अटैच शौचालय

और टेलिविजन जैसी सुविधाएं चाहते थे लेकिन इसमें शर्त यह है कि वे लक्षणरहित होने चाहिए।

अगर कोई बुजुर्ग है, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी, लीवर जैसी बीमारियों से पहले से ग्रस्त है,

गर्भवती महिला है या बच्चे हैं तो उनको इस सुविधा के उपयोग का अवसर नहीं होगा। उन्हें कोविड

अस्पताल में ही रहना होगा।

यह सुविधा केवल हल्के लक्षणों वाले और एसिम्टोमेटिक लोगों के लिए होगी।

उन्होंने बताया कि यह सुविधा पूर्णतः वैकल्पिक होगी। राजकीय चिकित्सालय एवं कोविड केयर सेंटर पूरी तरह निःशुल्क हैं। जो लोग अधिक सुविधाएं चाहते हैं, उनके लिए उक्त वैकल्पिक व्यवस्था होगी।
जितेन्द्र

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